9-2-11

का पता बदल गया है। यहाँ पर जारी:

http://devanaagarii.net/hi/alok/blog/

अलबत्ता, पुराने लेख यहीं मिलेंगे:

गुरुवार, अक्तूबर 23, 2003 19:39
 
हिन्दुस्तान में जगहों के नाम, हिन्दी और अन्य भाषाओं में। और सिर्फ़ हिन्दुस्तान के ही नहीं, और जगहों के नाम, उन उन भाषाओं में। काफ़ी मेहनत की है बन्दे ने।
मंगलवार, अक्तूबर 21, 2003 13:02
 
और जवाब भी आ गया। उनका कहना है कि समाचार वाली सेवा सिर्फ़ अङ्ग्रेज़ी में है, जब और भाषाओं में होगी तो इनको भी जोड़ देंगे। बढ़िया है। पी सी पर 64 बिट के प्रॉसॅसर आने वाले हैं, क्या गुल खिलेगा उनसे? वैसे मुझे लगता है कि हिन्दुस्तान में कम से कम अन्तर्जाल की गति बढ़ाना ज़्यादा ज़रूरी है बजाय अपने अपने सङ्गणकों की।
सोमवार, अक्तूबर 20, 2003 18:20
 
आज मैंने बड़े दिनों के बाद गूगल भइया को चिट्ठी लिखी।

मान्यवर,
आपसे अनुरोध है कि इन स्रोतों को भी अपनी खोज में शामिल करें,

बीबीसी हिन्दी
सहारा समय
पी टी आई भाषा

ये सभी UTF-8 कूटबन्धन में हैं।
फ़िलहाल क्रिकेट पर खोज करने पर कुछ नहीं मिलता।

जबकि जालपृष्ठों पर तो आपको मसला मिलता है।

आलोक।



रविवार, अक्तूबर 19, 2003 23:54
 
फ़िल्म देखी, रूल्स, प्यार का सुपर्हिट फ़ॉर्मुला। बढ़िया है, मज़ेदार। वैसे लोग प्यार का फ़ॉर्मुला ढूँढते ढूँढते उसी निष्कर्ष पर पहुँचे हैं जो हमें पहले से ही मालूम है। ज़्यादातर सामाजिक अनुसन्धान ऐसी ही बातें पता लगाते हैं जो हमें पहले से ही मालूम होती हैं, जैसे कि टी वी देखने से आँखों पर असर पड़ता है, स्वादिष्ट चीज़ों को खाने से बीमारियाँ होती हैं, या घर पर बच्चों पर ध्यान न देने से उनकी पढ़ाई पर बुरा असर होता है। ऐसे अन्वेषणों पर करोड़ों रुपए खर्च करने से पहले हमीं से पूछ लेते।
 
दाँतों में दर्द, सुना है कि जब होता है तो बहुत ज़बर्दस्त होता है, जल्दी से नौ दो ग्यारह नहीं होता। वैसे अपने को तो ऐसा कुछ कभी हुआ नहीं, शुक्र है खुदा को।
शुक्रवार, अक्तूबर 17, 2003 17:00
 
मोज़िला फ़ायर्बर्ड का नया उद्धरण, 0.7 आ गया है। ताज्जुब की बात यह है कि इसका आकार पिछले वाले, 0.6.1 से कम है, ज़्यादा नहीं।
गुरुवार, अक्तूबर 16, 2003 23:52
 
लिनक्स परिचय पर काम चल रहा है, धीरे धीरे। उम्मीद है कि प्लान के मुताबिक अक्तूबर के अन्त तक खत्म हो जाएगा। आज एक सरल पन्ना चढ़ाया।
बुधवार, अक्तूबर 15, 2003 17:58
 
लिनक्स पर ओपन टाइप मुद्रलिपियों के साथ मोज़िला? इण्डिक्स के साथ तो मैंने किया हुआ है यह काम, लेकिन यह तो कुछ अलग ही चीज़ है, और बढ़िया है। इण्डिक्स में आप केवल एक ही मुद्रलिपि एक ऍक्स सत्र में प्रयुक्त कर सकते हैं लेकिन इसमें कोई सीमा नहीं है। साथ ही इण्डिक्स में मोटे व तिरछे अक्षर नहीं आते। इसको चला के देखना है। वैसे निर्माण की चर्चा हुई थी, लेकिन यह अभी मोज़िला के तने में नहीं पहुँचा है।
मंगलवार, अक्तूबर 14, 2003 17:44
 
पता चला है कि कुछ लोग अपने दोस्तों को हिन्दी सिखा रहे हैं।बढ़िया है। मज़ेदार है।
गुरुवार, अक्तूबर 09, 2003 23:20
 
भई, यह कविता, बुनते सपने बिखरते सपने तो बढ़िया है। पहले इस पन्ने पर केवल पी डी ऍफ़ प्रारूप में ही कविताएँ थीं, अब ऍच टी ऍम ऍल में भी हैं। रवि रतलामी जी, धन्यवाद।
बुधवार, अक्तूबर 08, 2003 23:22
 
आई ऍस डी ऍन कनॅक्शन! सोचा, अब तो मज़ा आएगा। लेकिन कुछ ब्लास्टर वाइरस की वजह से कुछ ब्राउज़िङ्ग ही नहीं हो पा रही। तो वापस डायलप पर, साथ ही ३१.९ मॅगाबाइट सुरक्षा पॅच लगा रहा हूँ आज रात। समझ ही गए होंगे कि मैं आजकल विण्डोज़ पर काम कर रहा हूँ। भई आजकल अपने शहर से नौ दो ग्यारह हूँ। दूसरे सङ्गणक से काम कर रहा हूँ।
मंगलवार, अक्तूबर 07, 2003 00:10
 
आजकल जब लोग रेल्वे प्लॅट्फ़ार्म पर किसी को लेने जाते हैं तो हाथ में फूल या गुलदस्ता ले के आते हैं। ज़माना था जब आस्तीनें ऊपर चढ़ा के पहुँचते थे, ताकि सामान तुरन्त उठा के वहाँ से नौ दो ग्यारह हों। ज़माना बदल रहा है।
सोमवार, अक्तूबर 06, 2003 00:17
 
तख्ती है तो बढ़िया, लेकिन कुछ त्रुटियाँ मिलीं। मैं काम कर रहा हूँ विण्डोज़ ऍक्स पी पर, बिना लॅङ्ग्वॅज पॅक के।



रविवार, अक्तूबर 05, 2003 16:18
 
कल रात बैठ कर लिनक्स परिचय का यह पन्ना पूरा किया। इसमें काफ़ी त्रुटियाँ हैं, पर फ़िलहाल उन्हें ठीक नहीं किया है। वैसे अपना लक्ष्य था ३० अक्तूबर तक अनुवाद को खत्म करना। मेरा पूरा विश्वास है कि यह तो हो जाएगा, आप सबकी मदद से। इस बीच पता चला कि सरोवर में प्रवेश के लिए कुछ विशेष कदम उठाने पड़ते हैं, यह सोर्स्फ़ोर्ज की तरह नहीं है। दिल्ली की मॅट्रो रेल अच्छी तरक्की कर रही है, बढ़िया है।
शनिवार, अक्तूबर 04, 2003 09:03
 
इण्टर्नेट पर शादी का तो यह एक व्यङ्ग्यात्मक रूप है। वैसे कुछ लोगों का कहना है कि सभी शादियाँ व्यङ्ग्यात्मक होती हैं। आपका क्या ख़याल है?
शुक्रवार, अक्तूबर 03, 2003 07:25
 
मिस तिब्बत की प्रतियोगिता में सिर्फ़ एक प्रतियोगी, और वह विजयी घोषित हुई। बौद्धों को स्विम्सूट वाली प्रतियोगितोएँ पसन्द नहीं हैं। अग़र यही बात है तो इसका आयोजन कौन कर रहा है? उन्हीं के नेता न। यह बात तो कुछ हज़म नहीं हुई। नौ दो ग्यारह ही हो जाएगी यह प्रतियोगिता। वैसे स्विमसूट पहनने के लिए एक लाख रुपए मिलने वाली प्रतियोगिता समझ में नहीं आई। न ही यह बात कि तिब्बत का अधिकारिक स्थल यूनिकोडित नहीं है। पर ल्हासा में मौसम अच्छा होगा आजकल, ८ डिग्री सॅल्सियस।
गुरुवार, अक्तूबर 02, 2003 17:48
 
गीता प्रेस सन् १९२३ से चल रही है। स्थापना की श्री जयदयालजी गोयनका ने। वैसे मैंने इन्हें पत्र भी लिखा था, पर कोई जवाब नहीं आया। इनका सबसे ज़्यादा छपने वाला मसला है स्त्री एवं बालोपयोगी साहित्य, कुल ८ करोड़ ४० लाख प्रतियाँ छप चुकी हैं। मानना पड़ेगा। इतना ही नहीं, तेलुगु, गुजराती, अङ्ग्रेज़ी, तमिल, उड़िया, बाङ्ग्ला, असमिया, कन्नड़, व मराठी में भी यह छाप चुके हैं। मानना पड़ेगा।
१९९९-२००० साल में कुल १४ करोड़ का तो धन्धा ही हुआ था, और इसके लिए ३१ लाख किलो कागज़ खर्च हुआ। तीन साल पुरानी जानकारी है स्थल पर, यानी तब से स्थल को परिवर्तित नहीं किया है? पर स्थल बढ़िया है।
हिन्दी और अङ्ग्रेज़ी में रामायण, गीता, और कई अन्या पी डी ऍफ़ प्रारूप में उपलब्ध हैं, आप अधिभारित यानी डाउन्लोड कर सकते हैं और छाप भी सकते हैं। वैसे, इनको ऍच टी ऍम ऍल प्रारूप में भी रखा जा सकता था। गूगल तुरन्त उठा लेता। वैसे गूगल तो पीडी ऍफ़ को भी उठा ही लेता है।
 
इंस्क्रिप्ट की इतनी आदत पड़ चुकी है कि तख़्ती पर भी इंस्क्रिप्ट में ही लिखने में ज़्यादा सुहूलियत लगती है। वैसे क्या आपने ने किसी और लिपि के लिए तख़्ती का कुञ्जी चित्र यानी कीमॅप बनाया है? काम की चीज़ है।

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