9-2-11

का पता बदल गया है। यहाँ पर जारी:

http://devanaagarii.net/hi/alok/blog/

अलबत्ता, पुराने लेख यहीं मिलेंगे:

बुधवार, अप्रैल 23, 2003 09:58
 
नमस्ते।


अब तो मुझे चस्का लग चुका है लिखने का। अभी बजे हैं 9:30, देखते हैं अब कितनी देर लगेगी।


कल के लेख में कई जगह ब की जगह व छप गया था, क्योंकि व वाली कुञ्जी बी की है और मुझे उसीकी आदत थी।


ब्राउज़र में जब पढ़ते हैं तो ऊपर नीचे वाली पङ्क्तियाँ एक दूसरे से लड़ जाती हैं, ख़ासतौर पर मात्राओं वाली जगह पर। लेकिल नोटपॅड में ऐसा नहीं होता, यहाँ जगह काफ़ी छोड़ी हुई है।


क्योंकि चस्का लगा हुआ है, इसलिये लिख रहा हूँ। पर कितने दिन लगा रहेगा, वह पता नहीं।


कल ही मुझे पता चला कि रीडिफ़ के भी ब्लॉग हैं। लेकिन मुआफ़ करना, एक और ब्लॉग बनाने का माद्दा हममें नहीं है।


अरे इतनी जल्दी 9 2 11 होने का समय आ गया? 25 मिनट बीत चुके हैं लिखना शुरू किए। फ़िर मिलते हैं।




मंगलवार, अप्रैल 22, 2003 17:35
 
क्या लिखें, कोई ज़वर्दस्ती है क्या?
पर लिख ही लेते हैं, इसी बहाने इंस्क्रिप्ट की कवायद भी हो जाएगी। वैसे कवायद का मतलब क्या होता है? दरअसल मैं जिस शब्द को तलाश रहा था वह है रियाज़। आज लिखने का काम 5 वजे शुरू किया है, देखते हैं कितनी देर में पूरा होता है। यार इंस्क्रिप्ट तो मार ही देगा। पता नहीं इसके बाद अङ्ग्रेज़ी लिख पाऊँगा कि नहीं। हिन्दी में अनुस्वार कुछ ज़्यादा ही हैं, और ह, य अक्षर भी। इनको बीच वाली पङ़क्ति में रखना चाहिये था। पर कोई गल नहीं, एक बार आदत पड़ गई तो कोई चक्कर ही नहीं। कव वनेगी मुद्रलिपि जिसमें ङ्क, ट्ट, ट्ठ के संयुक्ताक्षर हों? भइया मुद्रलिपि बनाना टेढ़ी खीर है, कोई महान इंसान बना दे तो बना दे। हिन्दी पढ़ के आप फट से पता लगा सकते हैं कि लिखने वाला कहाँ का रहने वाला है। बोली, लहज़ा, शैली तुरन्त किसी क्षेत्र की ओर आपकी उँगली पहुँचा देगी।
किसी अखबार के किसी लेख को इंस्क्रिप्ट में लिख के देखना चाहिए कि कितने अक्षर किस किस पङ्क्ति में आते हैं। अरे कमाल है, पिछली बार पङ्क्ति लिखा तो ठीक छपा, लेकिन ऊपर तो पङ़क्ति छपा था। चक्कर क्या है?
चलिए 5:18 हो गए, पूरे बीस मिनट लग गए लिखने में। हिन्दी की गिनती नहीं छप रही, इसका भी जुगाड़ ढूँढना पड़ेगा।


? छापने के लिए भी कुञ्जी बदलनी पड़ती है, अब हम हो रहे हैं नौ दो ग्यारह।

सोमवार, अप्रैल 21, 2003 22:21
 
चलिये अब ब्लॉग बना लिया है तो कुछ लिखा भी जाए इसमें।
वैसे ब्लॉग की हिन्दी क्या होगी? पता नहीं। पर जब तक पता नहीं है तब तक ब्लॉग ही रखते हैं, पैदा होने के कुछ समय बाद ही नामकरण होता है न।
पिछले ३ दिनों से इंस्क्रिप्ट में लिख रहा हूँ, अच्छी खासी हालत हो गई है उँगलियों की और उससे भी ज़्यादा दिमाग की। अपने बच्चों को तो पैदा होते ही इंस्क्रिप्ट पर लगा दूँगा, वैसे पता नहीं उस समय किस चीज़ का चलन होगा।


काम करने को बहुत हैं, क्या करें क्या नहीं, समझ नहीं आता। बस रोज कुछ न कुछ करते रहना है, देखते हैं कहाँ पहुँचते हैं।


अब होते हैं ९ २ ११, दस बज गए।

 
जम गया
 
यू टी ऍफ़ ८ ठीक नहीं है।
 
अब कैसा है?
 

बड़ा कैसे करें?
 
लगता है यह अक्षर छोटे हैं।
 
नमस्ते।
क्या आप हिन्दी देख पा रहे हैं?
यदि नहीं, तो यहाँ देखें।

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